ऐ 'भाई' तुम घर पे ही रहो...
खाओ-पिओ खुशहाल रहो
ऐ भाई तुम घर पर ही रहो
मिठे ख्वाब देखो
कुछ नया सिखो
खुद खाना बनाओ
गीत गुनगुनाओ
थोडा पढो , थोडा लिखो
पेड-पौधौ को पानी डालते रहो
पत्ते फुलोको सवारते रहो
ऐ भाई तुम घर पर ही रहो,
ख्याल आए बाहर जाने का
मन को दिल से समझाने का
बाहर बिमारी का साया हैं
हमें मारने मिटाने आया हैं,
घर रहने मै ही सबका भला हैं
बाहर बिमारी का सिलसिला हैं
इसलिए घर पर ही रहो
खाओ-पिओ खुशहाल रहो
ऐ भाई तुम घर पर ही रहो...
© दिपक रा. पाटील
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