Friday, 2 February 2018

उम्मीद...

हमने फिरसे कपास लगायी
इसबार आखरी सांस लगायी

बारिश की बूँद रास ना आयी
हमने जमींपर प्यास लगायी.

( म्हणजे विहीर खोदली)

© दिपक पाटील.

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